Monday, February 28, 2011

कोई इल्जान लिख दो.....................

दिल उदास है बहुत कोई पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम न लिखो गुम-नाम ही लिख दो,

मेरी किस्मत में ग़म-इ-तनहाई है लेकिन तुम,
तमाम उम्र न लिखो पर एक शाम तो लिख दो,

ज़ुरूरी नहीं की मिल जाए सकून हर किसी को,
सरे-इ-बज़्म न आओ मगर बेनाम ही लिख दो,

ये जानता हूँ की उम्र भर तनहा मुझको रहना है,
मगर पल दो पल या घड़ी दो घड़ी  मेरे नाम ही लिख दो,

चलो हम मान लेते है के सज़ा के मुसतहिक़ ठहरे हम,
कोई इनाम न लिखो कोई इल्जाम ही लिख दो,


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